आज से हम हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों के नोट्स जैसे स्वर-व्यंजन, संधि, समास, संज्ञा, पर्यावाची, मुहावरे आदि बनाना आरम्भ करेंगे ताकि भविष्य में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओ में अच्छे अंक लेने में सहायता मिल सके !
हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन : हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन से मिलकर बनती है ! वर्णों के व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते है ! वर्ण हिंदी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी इकाई होती है!
स्वर
स्वर किसे कहते है?
स्वर:- स्वर उन वर्णों को कहते है जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध तथा बिना किसी दुसरे वर्णों की सहायता से होता है !
स्वर कितने प्रकार के होते है?
स्वर तीन प्रकार के होते है;-
1. हृस्व स्वर
2. दीर्घ स्वर
3. प्लुत स्वर
1. हृस्व स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते है !
2. दीर्घ स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरो से अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है !
3. प्लुत स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरो से लगभग तिन गुना अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते है !
मात्रा किसे कहते है?
स्वरों के निश्चित चिन्हों को मात्रा कहते है !
व्यंजन
व्यंजन किसे कहते है?
व्यंजन:-व्यंजन उन वर्णों को कहते ही जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है ! व्यंजन कितने प्रकार के होते है?
व्यंजन पांच प्रकार के होते है:-
1. स्पर्श व्यंजन
2. अंत:स्थ व्यंजन
3. उष्म व्यंजन
4. आगत व्यंजन
5. संयुक्त व्यंजन
समास किसे कहते है ?
समास का तात्पर्य होता है – संक्षिप्तीकरण। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नये सार्थिक शब्द को समास कहते है! दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जहाँ पर कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जाए वह समास कहलाता है।
समास के भेद :- समास के 6 मुख्य भेद होते है!
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास:- इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
Trick :- पहला पद छोटा होता है-प्रधान
उदाहरण :-
•प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
•प्रतिवर्ष = हर वर्ष
•आजन्म = जन्म से लेकर
•आजीवन = पूरा जीवन
•आमरण = मरने तक
नोट :- एक ही शब्द की पुनरावृति भी अव्ययीभाव समास में होती है! अर्थात एक ही शब्द कई बार आने पर भी अव्ययीभाव समास होता है!
उदाहरण :-
रातो-रात = रात+रात
दिनों-दिन = दिन+दिन
बीचो-बीच, पल-पल आदि !
2. तत्पुरुष समास : -जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक चिन्ह लुप्त हो जाता है उसे तत्पुरुष समास कहते है!
Trick :- दूसरा पद छोटा होता है- प्रधान
उदाहरण : -
राजकुमार = राजा का कुमार
राजपुत्र = राजा का पुत्र
यशप्राप्त = यश को प्राप्त
करुणापूर्ण = करुणा से पूर्ण
यज्ञशाला = यज्ञ के लिए शाला
पापमुक्त = पाप से मुक्त
शिवालय = शिव का आलय
पुरषोत्तम = पुरुषो में उत्तम
तत्पुरुष समास के भेद :
तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं :-
1. कर्म तत्पुरुष समास
2. करण तत्पुरुष समास
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास
4. अपादान तत्पुरुष समास
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास
6. अधिकरण तत्पुरुष समास
1. कर्म तत्पुरुष समास क्या होता है:- इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है। ‘को’ को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है। उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
•रथचालक = रथ को चलने वाला
•ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ
•माखनचोर =माखन को चुराने वाला
•वनगमन =वन को गमन
•मुंहतोड़ = मुंह को तोड़ने वाला
2. करण तत्पुरुष समास:- जहाँ पर पहले पद में करण कारक का बोध होता है। इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है। उसे करण तत्पुरुष कहते हैं।
जैसे :-
•स्वरचित = स्व द्वारा रचित
•मनचाहा = मन से चाहा
•शोकग्रस्त = शोक से ग्रस्त
•भुखमरी = भूख से मरी
•धनहीन = धन से हीन
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास:- इसमें दो पदों के बीच सम्प्रदान कारक छिपा होता है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के लिए’ होती है। उसे सम्प्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
•विद्यालय = विद्या के लिए आलय
•रसोईघर = रसोई के लिए घर
•सभाभवन = सभा के लिए भवन
•विश्रामगृह = विश्राम के लिए गृह
•गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
4. अपादान तत्पुरुष समास:- इसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है। अपादान कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘से अलग’ होता है। उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
•कामचोर = काम से जी चुराने वाला
•दूरागत = दूर से आगत
•रणविमुख = रण से विमुख
•नेत्रहीन = नेत्र से हीन
•पापमुक्त = पाप से मुक्त
•देशनिकाला = देश से निकाला
5. सम्बन्ध तत्पुरुष समास:- इसमें दो पदों के बीच में सम्बन्ध कारक छिपा होता है। सम्बन्ध कारक के चिन्ह या विभक्ति ‘का’, ‘के’, ‘की’होती हैं। उसे सम्बन्ध तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
•राजपुत्र = राजा का पुत्र
•गंगाजल = गंगा का जल
•लोकतंत्र = लोक का तंत्र
•दुर्वादल = दुर्व का दल
•देवपूजा = देव की पूजा
6. अधिकरण तत्पुरुष समास:- इसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है। अधिकरण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘में’, ‘पर’ होता है। उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे :-
•कार्य कुशल = कार्य में कुशल
•वनवास = वन में वास
•ईस्वरभक्ति = ईस्वर में भक्ति
•आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
•दीनदयाल = दीनों पर दयाल
•दानवीर = दान देने में वीर
3. कर्मधारय समास:- इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास में विशेषण-विशेष्य और उपमेय-उपमान से मिलकर बनते हैं उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
Trick:-
1.पहला पद विशेषण
2.दुसरे पद की तुलना होती है
3.विग्रह करने पर मध्य में “है जो” और “के समान” आते है!
उदाहरण:-
चरणकमल – कमल के समान चरण
महापुरुष – महान है जो पुरुष
मृगनयन – मृग के समान नयन
लालमणि – लाल है जो मणि
4. द्विगु समास:- जिस समास का पहला पद संख्यावाचक होता है वह द्विगु समास कहलाता है! Trick:- संख्या वाले शब्दों का प्रयोग
उदाहरण:-
•नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
•दोपहर = दो पहरों का समाहार
•त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
•पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह
•त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
5. द्वंद्व समास:- इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते हैं, तथा इसका विग्रह करने पर और, अथवा, या, एवं का प्रयोग होता है उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
Trick:- दोनों शब्द एक-दुसरे के विपरीत होते है
•जलवायु = जल और वायु
•अपना-पराया = अपना या पराया
•पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
•ठंडा-गर्म = ठंडा या गर्म
6. बहुब्रीहि समास:- इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर “वाला, है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह” आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।
Trick- विग्रह करने पर तीसरा अर्थ निकलता है
उदाहरण:-
•गजानन = गज का आनन है जिसका (गणेश)
•त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके (शिव)
•नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
•लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
•दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
•चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
•पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके (कृष्ण)
टेस्ट सीरिज की विशेषता :-
यह टेस्ट सीरिज HRTC (HPSSSC) के नये पैटर्न पर आधारित है
इस टेस्ट सीरिज में 05 प्रैक्टिस सेट है जो हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध है
इसमें 850 प्रश्न है और ज्यादातर प्रश्न पिछले वर्षो में हुई परीक्षाओ में से लिए गये है, क्यूंकि हमेशा पुराने प्रश्न ही रिपीट होते है परीक्षाओ में
अगर आप इस टेस्ट सीरिज को खरीदते है तो आपको HPSSSB और HPPSC द्वारा पिछले वर्षो में आयोजित की गयी परीक्षाओ में पूछे गये हिमाचल सामान्य ज्ञान के 700 से भी ज्यादा प्रश्नों वाली पीडीऍफ़ मुफ्त मिलेगी
यह टेस्ट सीरिज GovtJobs4you के द्वारा बनाई गयी है
एक बात मेरी याद रखे की "Work Hard but in Smart way"
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